जयपुर। एजेंसी। । सरकार में बैठे बाबू न्यायालय की भी नही सुनते है, जिसका खामियाजा कलेक्टर की कुर्सी को भुगतना पड़ा। दरअसल निर्माण होने के बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग ने कंपनी को राशि का भुगतान नहीं किया। इस पर पहले तो कंपनी के प्रतिनिधियों ने सरकारी अधिकारियों के चक्कर लगाए, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली तो फिर ट्रिब्यूनल में अपील की। ट्रिब्यूनल से कंपनी के पक्ष में निर्णय हुआ और सरकार को 6 माह में भुगतान करने के निर्देश दिए गए। लेकिन सरकारी अधिकारियों ने इस निर्णय का पालन नहीं किया तो फिर कंपनी ने उदयपुर जिला एवं सत्र न्यायालय में अपील की।
न्यायालय ने भी कंपनी को 10 करोड़ रुपये का भुगतान ब्याज सहित करने के निर्देश दिए। सरकारी अधिकारियों ने न्यायालय का यह निर्देश भी नहीं माना। इस पर न्यायालय ने 30 अगस्त उदयपुर जिला कलेक्टर की कुर्सी कुर्क करने के आदेश दिए थे।
ऐसे में न्यायालय के अमीन ने अपनी टीम के साथ जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर की कुर्सी कुर्क की। 4 साल पहले उदयपुर-चित्तौगड़गढ़ स्टेट हाइवे बनाने वाली हैदराबाद की केएमसी कंपनी को 10 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान कर उदयपुर जिला कलेक्टर की कुर्सी को छुड़वा लिया गया है।
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