जबलपुर/भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र, एवं एनिमल वेलफेयर बोर्ड को नोटिस कर एक सप्ताह में जबाब मागा है कि छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश के सीधी जिले में आए 5 जंगली हाथियों को बंधक बनाकर क्यों रखा है। कोर्ट ने पूछा है कि इन हाथियों का पुनर्वास क्यों नहीं किया।
एक जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने वन विभाग के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी, पीसीसीएफ, एडीशनल सीसीएफ भोपाल और एनिमल वेलफेयर बोर्ड अॉफ इंडिया फरीदाबाद के चेयरमैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।
ये है मामला
वन्य जीव प्रेमी रायपुर छत्तीसगढ़ निवासी नितिन सिंघवी ने याचिका दायर कर बताया कि पिछले दिनों जंगली हाथियों का एक झुंड घूमते हुए छत्तीसगढ के जंगलों से मप्र के सीधी जिले के जंगलों में आ गया था। यहां इन हाथियों ने कुछ ग्रामीणों को नुकसान पहुंचाया जिसके बाद वन विभाग ने ऐहतियातन इन्हें पकड़ कर बंधक बना लिया। याचिकाकर्ता का कहना है कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत इन हाथियों का पुनर्वास यानि प्राकृतिक आवास में छोडऩा आवश्यक है। ऐसे हाथियों को बांधकर रखना घातक हो सकता है।
बता दें कि मध्यप्रदेश के सीधी जिले में छत्तीसगढ़ से आये 5 वन हाथियों को कानून के विरूद्ध बन्धक बनाने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) मध्यप्रदेश ने वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम की धारा 11(1)(a) के तहत आदेश दिया था।
क्या है हाथी को बन्धक बनाने के प्रावधान:-
रायपुर निवासी श्री नितिंन सिंघवी ने बताया कि हाथी वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची 1 का प्राणी है तथा अधिनियम की धारा 11(1)(a) के प्रावधान के अनुसार – इस प्रकार पकड़े गये प्राणी को बंदी नहीं रखा जा सकता जब तक अर्थात् प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) इस बात से संतुष्ट न हो जावे कि हाथी को वन में पुनः स्थापित नहीं किया जा सकता तथा इसके लिये प्रधान मुख्य वन संरक्षक को कारण भी बताने पडेंगे कि एैसे प्राणी को वन में पुनः स्थापित क्यों नहीं किया जा सकता।
क्यों गलत है आदेश? क्या है सजा का प्रावधान:-
प्रावधान से पूर्णः अवगत होने के बावजूद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने आदेश जारी किये कि 5 हाथियों को सीधी जिले से रेस्क्यू कर बान्धवगढ़ टाईगर रिजर्व, उमरिया में क्राल में रखा जावे जो कि अधिनियम का खुला उल्लंघन है। हाथी वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम में अनुसूची 1 का प्राणी है तथा अधिनियम अनुसूची के प्राणी के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर 3 से 7 वर्ष की सजा तथा रू. 25 हजार पेनाल्टी का भी प्रावधान है।
गुमराह करते रहे मध्यप्रदेश पीसीसीएफ वाइल्ड
हाई कोर्ट के नोटिस पर मध्यप्रदेश के पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ से एसजी न्यूज ने उनका जबाब जानना चाहा तो उन्हीने मना कर दिया कहा कि कोर्ट को जबाव पेस किया जाएगा। हालांकि वे सुरु से गुमराह करते रहे कि यह नियमतः है और उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में टूरिस्ट के लिए ट्रेंड करके उपयोग किया जाएगा।
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