बालोद। डिलेश्वर देवांगन। सरकार बच्चो को बेहतर शिक्षा और स्कूल मे तमाम तरह की सुवधिाए मिले इसके लिये हर साल करोडो रूप्ये खर्च कर रही है। इसके बाद भी प्रदेश मे कई ऐसे स्कूल मिल जायेगे जो अपनी बहदाली पर आंसू बहा रहे है। अगर ज्यादातर स्कूल की बात करे तो बालोद जिले के डोंडी ब्लॉक के ही स्कूल जर्जर है।जहाँ बच्चे दुर्घटना की साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं
शिक्षा का नींव प्राथमिक और मिडिल स्कूल होता है और इन्हीं स्कूलों में बच्चे डर के साए में पढ़ाई करने को मजबूर होंगे तो कैसे चलेगा। कुछ ऐसा ही नजारा बालोद जिले के डोंडी ब्लाक के बोरिद गांव की प्राथमिक शाला की हालत है। जहां स्कूल की हालत दयनीय है।यहाँ के सरकारी स्कूल की छत इतनी जर्जर हो गई है कि मानो कभी भी गिर पड़ सकते हैं। ऐसे मे यहा पढने वाले बच्चो को हर वक्त अपनी जान की परवाह सताती है। ग्रामीणों की माने तो समय समय पर स्कूल की मरम्मत को लेकर कई बार शिकायत किया।इसके बाद भी ना तो शिक्षा महकमा और न ही जिला प्रशासन बच्चो की सुरक्षा को लेकर संजीदा है।
दरअसल जिले मे कई ऐसे स्कूल आपको देखने को मिलेगा जो काफी खस्ताहाल हो गये। हालत ऐसे की मानो एक तेज आंधी आई तो स्कूल तहस नहस हो जाये।इसके बाद भी बच्चे मजबूरी मे जर्जर स्कूल मे पढने को मजबूर है।ऐसे मे अगर कोई हादसा होता है तो इसके जिम्मेदार कौन होंगे ये एक बडा सवाल है।पालको की माने तो स्कूल की दशा को लेकर कई बार जनप्रतिनिधी और प्रशासन को अगवत करा चुके है।बाद इसके इस मसले को लेकर कोई भी गंभीर नही है।जिसके चलते ग्रामीणो ने इस स्कूल को तोडकर नये स्कूल बनाने की मांग शासन प्रशासन से की है।
क्लास रुम में पानी टपकने के बाद भी बैठने के लिए मजबूर हैं स्कूली बच्चे
डौण्डी विकासखंड के स्कुल केंद्र गुजरा के शासकीय प्राथमिक शाला बोरिद में स्कुल काफी जर्जर हो गया हैं । जिसमे बच्चे अपने जान को जोखिम में डाल कर पढ़ाई करने के लिए मजबूर लेकिन शिक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन की उदासीनता व् लापरवाही के चलते आज तक स्कुल की मरम्त व् निर्माण नही किया गया हैं । ऐसा लगता हैं की प्रशासन को दुर्धटना का इंतजार हैं ।बारिश के दिनों में बच्चे स्कुल जाने के लिए डरते हैं ।विगत दिनों क्षेत्र में झमाझम बारिश हुई थी। स्कूल की कबेलु पूरी तरह टूट कर गिर गई हैं । जिसके कारण बारिश का पानी स्कुल के अंदर भारी मात्रा में टपकता हैं ।वहीँ बच्चे अपने आप को बचाने के लिए व् जमीन को सुखा रखने के लिए जहा से पानी टपकता हैं वहाँ पर बर्तन व् अन्य सामग्रियों को रखते हैं । कबेलु पूरी तरह खराब हो गई उसमे से दर्जनों जगहों से छेद हो गई हैं जहाँ से स्कुल के अंदर पानी टपकता हैं। जिसके वजह से बर्तन भी कम पड जाते हैं । इसके बाद भी छोटे छोटे बच्चे पानी टपकने के बाद भी अपने भविष्य को गड़ने में लगे हैं ।
ग्रामीण स्कुल निर्माण के लिए कर रहे हैं 2012 से जनदर्शन में आवेदन
शासकीय प्राथमिक शाला बोरिद का स्कुल काफी जर्जर हो गया हैं । जहाँ पर कभी भी बड़ी दुर्धटना हो सकती हैं । पालक अपने बच्चों को मजबूरी में ही स्कुल भेजते हैं । वहीँ पलकों के पास कोई दूसरी भी विकल्प नही हैं ।ग्रामीणों ने बताया की 2012 से स्कुल निर्माण के लिए डौण्डी के ब्लाक शिक्षा अधिकारी तथा कलेक्टर जनदर्शन में ज्ञापन देते आ रहे हैं ।लेकिन जिला प्रशासन व् शिक्षा विभाग की लापरवाही एव उदासीनता के चलते बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं। स्कुल निर्माण के लिए कोई ध्यान नही दिया जा रहा हैं । प्रशासन कोई बड़ी दुर्धटना की इंतजार कर रही हैं ऐसा प्रतीत हो रहा हैं । ग्रामीणों ने कहा की यदि स्कुल में पड़ने वाले एक भी बच्चे दुर्धटना के शिकार हुए तो इसकी जवाब दारी जिला प्रशासन व् शिक्षा विभाग की होगी ।इसके साथ ही राज्य सरकार को भी आड़े हाथ लेते हुए जमकर कोषा ।ग्रामीणों ने यदि स्कुल निर्माण जल्द ही नही करते हैं तो आने वाले विधानसभा का बहिष्कार करने की चेतावनी शासन प्रशासन को दी हैं ।
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