बालोद। डिलेश्वर देवांगन। बालोद जिले के पुलिस अधीक्षक आई के ऐलेसेला की सक्रियता के चलते आज नौनिहालों को मालवाहक में ढो रहे जिम्मेदार स्कूल शिक्षकों पर महंगा पड़ा। आज नौनिहालों के जान के साथ खिलवाड़ कर प्राथमिक शाला के बच्चों को मालवाहक गाड़ी में ले जा रहे थे। अचानक बालोद जिले के एसपी की नजर उस गाड़ी पर पड़ी और कार्यवाही भी हुई।
मिली जानकारी के अनुसार सरस्वती शिशु मंदिर कोबा के बच्चों को 9 अगस्त से सरस्वती शिशु मंदिर ग्राम पुरूर में हो रहे जिला स्तरीय खेल स्पर्धा में भाग लेने हेतु स्कूली शिक्षक ले गये थे। जहां से शुक्रवार को स्पर्धा समापन के पश्चात 7 स्कूली शिक्षकों के साथ आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित पापरा की सरकारी मालवाहक गाड़ी क्रमांक सीजी 24 एफ 3952 वापस ला रहे थे। तभी झलमला से बालोद होते हुए कोबा जा रही बच्चों से भरी गाड़ी में बालोद जिले के एसपी आई के ऐलेसेला की नजर पड़ी और तत्काल एसपी ने यातायात प्रभारी को जानकारी लेने निर्देशित किया। लगभग 40-45 को बच्चों से भरी मालवाहक गाड़ी मुख्यालय के दल्लीचौंक पहुंची। जहां यातायात प्रभारी सहित स्टॉफ के अन्य कर्मचारी अपनी पैनी नजर पहले से बनाये हुए थे। जैसे ही दल्लीचौंक सिग्नल में गाड़ी रूकी यातायात विभाग की टीम गाड़ी के पास पहुंचकर गाड़ी को रोक लिया और विभाग के कार्यालय के सामने खड़ा कर दिया।
7 जिम्मेदार शिक्षक थे मौजूद
बता दें कि कोबा सरस्वती शिशु मंदिर के प्राथमिक शाला के बच्चों को जब मालवाहक गाड़ी में भरकर पुरूर से बालोद मुख्यालय होते कोबा ले जा रहे थे तब मालवाहक गाड़ी में 3 महिला शिक्षक मौजूद थे। इसके साथ साथ 4 पुरूष शिक्षक मोटरसायकल से गाड़ी के साथ साथ आ रहे थे। लेकिन आज ऐसे शिक्षकों को नौनिहालों को कोई परवाह नहीं है कि 53 बच्चों को मालवाहक गाड़ी में ले जा रहे थे। गाड़ी छोटी, जगह की कमी के साथ साथ बारिश की गिरती बूंदों में भीगते बच्चों को देख पुलिस अधीक्षक की सक्रियता आज लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
पुलिस बस में छोंड़ा बच्चों को घर
मालवाहक गाड़ी में जा रहे बच्चों को यातायात विभाग के पास उतारा गया। यातायात प्रभारी सत्यकला रामटेके ने बताया कि मालवाहक गाड़ी में बच्चों को ले जा रहे थे जिस पर कार्यवाही करने के निर्देश बालोद पुलिस अधीक्षक आई के ऐलेसेला ने दिया। गाड़ी को दल्लीचौंक के पास रोककर कार्यालय के पास लाया गया और मोटर वेहिकल एक्ट के तहत वाहन को जब्ती किया गया है। इसके साथ गाड़ी के सभी 53 बच्चों को पुलिस बस में बिठाकर उनके घर तक छोंड़ा गया।
लगातार इसी तरह होनी चाहिए कार्यवाही
यह तो मालवाहक गाड़ी में ले जाते बच्चों को देख कार्यवाही की गई। वहीं बालोद मुख्यालय के निजी स्कूलों में एक नजर डालें तो कई स्कूली गाड़ियां खटारा हो चुकी है। जिसमें बच्चों को ठूंस-ठूंसकर भरकर स्कूल से घर और घर से स्कूल ले जाया जाता है। जिस पर अब तक यातायात विभाग ने किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की है। कार्यवाही नहीं होने से स्कूल संचालक अपनी मनमानी कर रहे हैं। बच्चों के पालकों से फीस तो समय पर ले लेते हैं लेकिन सुविधा देने के नाम पर महज खाना पूर्ति की जा रही है। लोगों का कहना है कि जिस तहत शुक्रवार को मालवाहक गाड़ी में नौनिहालों को ले जाते देख कार्यवाही की गई उसी तरह क्षमता से अधिक स्कूल गाड़ियों में बच्चों को भरकर ले जाने वाले चालकों, स्कूल संचालकों पर कड़ी कार्यवाही होना चाहिए।
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