रायपुर। 21 सितम्बर 18, रायपुर शहर सहित छत्तीसगढ़ के अन्य शहरों में त्योहारी मौसम में हाथियों को डी.जे. की तेज आवाज वाली रैलियों में घुमाने से उन रैलियों में फटाखे फोड़ने से हाथियों के विचलित होकर कभी भी बिदकने के कारण होने वाली संभावित जान-माल की हानि को लेकर मेनका गांधी की संस्था पीपल फार ऐनीमल की रायपुर इकाई की कस्तूरी बलाल ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) श्री कौशलेन्द्र सिंह के पास लिखित शिकायत दर्ज कराई और उनके कहने पर मुख्य वन संरक्षक रायपुर श्री अरूण पान्डे तथा वनमंडलाधिकारी रायपुर श्री उत्तम कुमार गुप्ता से व्यक्तिगत मुलाकात कर नियमों की जानकारी दी।
बलाल ने बताया कि बन्धक हाथी भी तेज आवाजों में रहने के आदी नहीं होते तथा इस प्रकार से उनको तेज आवाजों के मध्य रखना उनके प्रति क्रूरता होती हे। केन्द्र सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी “गाईडलाइन्स फार केयर एण्ड मेन्टनेन्स आफ केप्टिव ऐलिफेन्ट” में स्पष्ट उल्लेख है कि त्यौहारों तथा कार्यक्रमों का आयोजन करने वालों को क्षेत्र के वनमंडलाधिकारी या रेंजर को कार्यक्रमों की जानकारी देकर हाथी के उपयोग की अनुमति लेना अनिवार्य है। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि शहर में वर्तमान में तीन हाथी लाये गये हैं जो कि दीवाली तक रहेंगे। इन हाथियों को गाईडलाइन्स के अनुसार साफ सुथरे स्थान पर नहीं रखा जाता है, इसके अलावा हाथियों के साथ रख जाने वाले वैक्सीनेशन रजिस्टर, खाना-पीना खिलाने का रजिस्टर, कार्य कराने का रजिस्टर, घुमाने का रजिस्टर इत्यादि भी नहीं रखे जाते। इसके अलावा हाथी के छत्तीसगढ़ प्रवेश के पहले प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) की लिखित अनुमति भी लेनी अनिवार्य है।
बलाल ने बताया कि गाईडलाइन्स विस्तृत है और उसके किसी भी बिन्दु का पालन नहीं किया जा रहा है और गाईडलाइन्स का पालन करवाना वन विभाग के अधिकारियों का काम है अतः किसी भी प्रकार की अनहोनी, दुर्घटना या जान-माल का नुकसान होने पर वन अधिकारी ही जिम्मेदार रहेंगे। केरल में रैलियों के दौरान हाथियों के बिदकने की कई घटनाऐं हो चुकी है जिसमें कई बार लोगों की मौतें हुई है।
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