रायपुर। शासकीय नौकरी से स्तीफा देकर राजनीति में आने का शिलशिला जोरो पर है। कई वर्तमान अधिकारी अपनी नौकरी से स्तीफा देकर भाजपा और कांग्रेस में हाल ही में शामिल हुए हैं, इनमें कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी भी शामिल है। सबसे ज्यादा चर्चित रहे रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी जिन्होंने जिन्होंने कम उम्र में नौकरी को त्याग कर सक्रीय राजनीति में भाजपा के साथ आये। इसके अलावा पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त मिंज कांग्रेस में शामिल हुए। इसी कड़ी में महासमुंद जिला में पदस्थ पोस्ट ग्रेजुएट युवा डॉक्टर सुधीर कुमार भोई ने हाल ही में नौकरी से स्तीफा देकर मुख्यमंत्री के समक्ष भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। डॉ सुधीर भोई सराईपाली में ही निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। इनके परिवार में ज्यादातर लोग डॉक्टर और वकील हैं, 1 भाई इनकम टैक्स विभाग में है। एक भाई डॉ अश्विनी भोई जो हड्डी रोग विशेज्ञ है इसी क्षेत्र से लगे बरगढ़ उड़ीसा में अपना हास्पिटल चला रहे है। एक भाई राजनांदगांव में शासकीय डॉक्टर है। वहीं रायपुर में विवेकानंद भोई अधिवक्ता है।
राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। देवेंद्र बहादुर सिंह और उनके परिवार का दबदबा इस क्षेत्र में रहा है। देवेंद्र बहादुर सिंह के तिलस्म को तोड़ने के लिए भाजपा ने एक नया प्रयोग जातीय समीकरण का 2013 के विधानसभा में किया। जिसमें यहाँ से कोलता समाज बाहुल्य की वजह से रूपकुमारी चौधरी को लड़ाया गया और भाजपा को फतह हासिल हुई। बड़े चेहरे के ससमने सामान्य चेहरा उतारकर भाजपा ने कांग्रेस को चित कर दिया था। पार्टी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा की रणनीति 2018 विधान सभा चुनाव में भी कुछ ऐसी ही रहने वाली है। चूंकि कई विधानसभा में एन्टीइनकंबेंसी को कम करने के लिए पुराने विधयकों की जगह नए चेहरे लाने का निर्णय हो रहा है, इसी कड़ी में डॉ सुधीर भोई को नौकरी से स्तीफा दिलाकर लाया गया है। चूंकि डॉ भोई इसी कोलता समाज से आते हैं जिसके कारण भाजपा को पिछली बार फतह हासिल हुई थी। इसी कारण इनको नए चेहरे के रूप में भाजपा बसना विधानसभा से उम्मीदवार बना सकती है। एक भाजपा के ही संगठन के पदाधिकारी के अनुसार डॉ भोई का स्तीफा किसी केंद्रीय मंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद ही कराया गया है। अंदर की सच्चाई पार्टी ही जाने लेकिन अचानक स्तीफा देकर पार्टी में शामिल होना महासमुंद की राजनीति में कुछ नया समीकरण लाने की ओर इशारा करता है।
इस बात में कोई दो मत नही है कि देश और प्रदेश की राजनीति में डॉक्टर और शिक्षक सफल रहे है। प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद डॉक्टर है। डॉ भोई का राजनीतिक भविष्य तो समय बताएगा।
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