रायपुर। बैंक किस तरह से लोगों को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना देते हैं उसका उदाहरण है अभनपुर के हसदा निवासी शांति बाई (46)। कर्ज अदा करने के बाद भी शांति को नोटिस पर नोटिस जारी किया गया। वे इस कदर परेशान हो गईं कि नेशनल लोक अदालत का दरवाजा खटखटाया। शांति चल-फिर नहीं सकती, क्योंकि वे दोनों पैर से दिव्यांग हैं। परिजन उन्हें चादर के बीच बैठाकर, अदालत तक ले गए।
शांति ने जज साहब के सामने कहा- ‘मैं चल नहीं सकती, नोटिस आने से सब परेशान हैं। क्या करूं’। उन्होंने दुखड़ा सुनाया तो जज साहब बोले, जल्द समाधान करते हैं। यह प्रकरण बैंक की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। एक तरफ बैंकों के हजारों-लाखों करोड़ रुपये डकारकर भागने वालों के विरुद्ध कुछ नहीं हो रहा और जो बेसहारा है उसे प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा के तत्वावधान में शनिवार को जिला न्यायालय रायपुर में नेशनल लोक अदालत रखी गई। सुबह साढ़े दस बजे से दोपहर दो बजे तक, और ढाई से शाम पांच बजे तक 1099 मामलों का निराकरण हुआ, जो रिकार्ड है। शनिवार को प्रदेशभर में 5075 मामलों का निपटारा हुआ। इसके साथ ही 18 करोड़ रुपये की राशि का आपसी समझौता करवाया गया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा प्राधिकरण के अध्यक्ष राम कुमार तिवारी के मार्गदर्शन में सभी मामलों के फैसले लिए गए। इसमें 31 खण्डपीठों का गठन कर 37 न्यायाधीशों की खण्डपीठ ने सुनवाई की।
कुछ खास फैसले
न्यायाधीश राकेश वर्मा ने इन्दरजीत कौर के हक में फैसला सुनाया। इंदरजीत के पति की वाहन दुर्घटना में मृत्यु हो गई है। इसके एवज में उन्हें बीमा कंपनी ने 45 लाख रुपये दिए। टिकरापारा में आशा बाई औेर उनके पुत्र गौतम ढीमर के बीच पिछले नौ माह से विवाद चल रहा था। अदालत ने मां के पक्ष में 1000 रुपये प्रति माह मां को देने के लिए आदेश किया।
इन प्रकरणों को मिला अंतिम रूप
जिला न्यायालय में कुल 17361 मामलों की सुनवाई हुई। इनमें 556 प्रकरणों का अंतिम का निराकरण हुआ। न्यायालय में लंबित 4713 मामले सुनवाई के लिए रखे गए। इनमें 1099 मामलों का निराकरण हुआ। 457 प्री-लिटिगेधान प्रकरण भी अंतिम रूप से निराकृत हुए। विधिक प्राधिकरण के सचिव उमेश उपाध्याय ने बताया कि राज्य की पहली लोक अदालत है, जहां इतने लंबित मामलों का एक साथ निराकरण हुआ है।
आंकड़े पर एक नजर
राजीनामा योग्य आपराधिक मामले- 244
चेक बाउंस के मामले – 511
दुर्घटना दावा प्रकरण – 107
सिविल वाद – 76
विद्युत अधिनियम से संबंधित मामले- 147
विवाह से संबंधित मामले- 14
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