दिल्ली। एसजी न्यूज़। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के मसूरी वन क्षेत्र में बेशकीमती व साल के दुर्लभ पेड़ काटने के मामले में उत्तराखंड के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू को दोषी पाया गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सभी तर्कों को खारिज करते हुए पेड़ काटने से पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उन पर 46 लाख रुपये का जुर्माना किया है।
वर्ष 2012 में सीनियर आईपीएस आफिसर बीएस सिद्धू ने मसूरी वन प्रभाग में वीरगिर वाली गांव में 1.5 हेक्टेयर जमीन खरीदी। इस जमीन से मार्च 2013 में साल के 25 पेड़ काट दिए गये। सूचना मिलने पर वन विभाग ने इसकी जांच कराई तो पता चला कि संबंधित पेड़ जिस जमीन पर है वह रिजर्व फॉरेस्ट है। बीएस सिद्धू ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी। साल के पेड़ भी काट दिये।
बार एसोसिएशन मामले को लेकर पहुचा था एनजीटी
एनजीटी बार एसोसिएशन 24 अक्टूबर 2013 को यह मामला ट्रिब्यूनल में ले गया। सिद्धू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बीएस सिद्धू ने भी एनजीटी में एक याचिका डाली। उन्होंने वन विभाग के कुछ अधिकारियों पर अपनी ड्यूटी में लापरवाही करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। इस मामले में दोनों पक्षों को सुना गया। अप्रैल 2018 में बहस पूरी हुई। ट्रिब्यूलन ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति रघुवेन्द्र एस राठौर और न्यायिक सदस्य सत्यवान सिंह गरबयाल ने फैसला सुनाया। दोनों जजों ने फैसले में कहा है कि सर्वाधिक विचारणीय बिंदु यह था कि पेड़ किसने काटे और इससे पयार्वरण और पारिस्थितिकी का कितना नुकसान हुआ। पाया गया कि तत्कालीन डीजीपी बीएस सिद्धू ने गलत तरीके से जमीन खरीदी और पेड़ भी काटे। एक डीजीपी होने के नाते उनके खिलाफ पर्याप्त आधार बनता है कि उन पर जुर्माना किया जाए।
इसके तहत ट्रिब्यूनल ने माना है कि पेड़ काटने से इको वैल्यू कैटेगरी क्लास तीन का नुकसान हुआ है। इससे र्पयावरण को हुए नुकसान का दो गुणा और साल के पेड़ काटने का उसकी कीमत से दस गुणा जुर्माना किया गया है। एक महीने के अंदर सिद्धू को जुर्माने की राशि वन विभाग को देनी होगी। इस राशि से डीएफओ समुचित वन क्षेत्र में पौधरोपण करवाएंगे।
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