भोपाल। एससी/एक्ट को मूल रूप में बहाल करने पर सवर्ण संगठनों में नाराजगी बढ़ने लगी है।मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी सवर्ण लामबंद होने लगे हैं। सबसे मुखर विरोध मध्यप्रदेश में नजर आ रहा है। वहीं, कई सवर्ण संगठनों ने 6 सितंबर (गुरुवार) को भारत बंद का भी आह्वान किया है। फिलहाल, सरकार ने एहतियात के तौर पर मध्यप्रदेश के कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी है। इसके अलावा पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट जारी कर दिया है और भारत बंद के मद्देनजर ग्वालियर के सभी स्कूल और कॉलेज को बंद रखने के निर्देश जारी किए हैं।
भोपाल में भी स्कूल में भी स्कूल बंद नजर आए, स्कूल की बसे बैंड है। मध्यप्रदेश में बंद का भारी असर दिख रहा है रीवा संभाग, ग्वालियर संभाग जबलपुर सहित अधिकांस इलाकों में दुकाने स्वस्फूर्त बंद नजर आ रही है।
रीवा जिले में पूरा शहर स्वस्फूर्त बन्द नजर आया, लोगो ने रैली निकालकर विरोध जताया साथ ही रीवा सांसद जनार्दन मिश्र का घेराव सवर्ण समाज ने किया। सवर्ण समाज ने सांसद से st sc एक्ट के संसोधन को लेकर नाराजगी जताई।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को लेकर सु्प्रीम कोर्ट की ओर से सुनाए गए फैसले को पलट दिया था। जिसके बाद धीरे-धीरे सवर्णों में नाराजगी बढ़ने लगी। कई संगठनों ने सरकार पर दलितों के तुष्टिकरण का भी आरोप लगाया। बताया जा रहा है कि सवर्णों की नाराजगी अब बाकी राज्यों की ओर भी रुख करने लगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ये फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी।शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए।
संसद में SC/ST एक्ट में संशोधन पारित किया
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटते हुए एससी/एसटी एक्ट को वापस मूल स्वरूप में बहाल कर दिया।हाल ही में ये संशोधित एससी/एसटी (एट्रोसिटी एक्ट) फिर से लागू किया है। अब फिर से इस एक्ट के तहत बिना जांच गिरफ्तारी संभव हो गई।
विरोध की वजह
सरकार के संशोधित एससी/एसटी एक्ट का विरोध की बड़ी वजह गिरफ्तारी वाली पहलू माना जा रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि इस गिरफ्तारी वाले प्रावधान की वजह से कई बार इस एक्ट के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं। इसीलिए ऐसा न हो सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान में संशोधन कर गिरफ्तारी से पहले जांच की बात कही थी।
पुलिस ने संभाली कमान
पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) मकरंद देउस्कर ने बताया कि एक्ट में संशोधन को लेकर सवर्ण समाज का विरोध अब तक मंदसौर, नीमच, ग्वालियर रीवा जैसे कुछ शहरों में रैली के रूप में हुआ है। प्रदेश के ग्वालियर–चंबल और उज्जैन संभाग में विरोध के स्वर तीखे बताए जा रहे हैं। वहीं, कटनी, सतना, जबलपुर, रीवा, विदिशा, हरदा, बदनावर, सागर, टीकमग़़ढ, मंडला, श्योपुर जैसे जिलों में भी एट्रोसिटी एक्ट संशोधन को लेकर नाराजगी स्वरूप विरोध प्रदर्शन हुए हैं।
देउस्कर ने बताया कि सपाक्स सहित करीब 30 से 35 संगठनों द्वारा भारत बंद का आव्हान किया गया है जो केवल सोशल मीडिया पर चल रहा है। होशंगाबाद और कुछ अन्य स्थानों पर इक्का-दुक्का संगठनों ने बंद की सूचना प्रशासन को दी है। अभी इंटरनेट निलंबन जैसी आवश्यकता महसूस नहीं की जा रही है। फिर भी जिलों को जन्माष्टमी के दौरान उपलब्ध कराई गई पुलिस फोर्स को वापस नहीं लिया गया है। वे भारत बंद में कानून व्यवस्था के लिए उपयोग कर सकते हैं।
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