रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विवि राज्य का पहला विश्वविद्यालय होगा, जहां फायर आइ तकनीक पर परीक्षा होने से काम बेहतर हो गया है। कृषि विवि पहला है, जहां इस तरह की आधुनिक तकनीक से परीक्षा प्रणाली का बेहतर रूप से संचालन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय रायपुर परीक्षा नियंत्रक कार्यालय द्वारा परीक्षा प्रणाली को आधुनिक तकनीक फायर आई तकनीक से जोड़कर परीक्षा कार्य स्वचलित किया जा रहा है।
गौरतलब है कि ऐसी तकनीक देश के चुनिंदा विश्वविद्यालयों में ही अपनाई गई है। पिछले वर्ष परीक्षा नियंत्रक कार्यालय की ओर से ओएमआर को उत्तर पुस्तिका से जोड़कर इस तकनीक को पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया था। वर्तमान में इसी फायर आइ तकनीक का परीक्षा से संबंधित सभी कार्यों को संचालित किया जा रहा है, जिससे परीक्षा से संबंधित कार्य अपने निधारित तारीख से पहले ही पूर्ण कर लिये जाते हैं।
ऐसे रहती है गोपनीयता
कृषि विवि के अधिकारियों ने बताया कि परीक्षा के कार्यो में फायर आई तकनीक का उपयोग गोपनीयता के साथ किया जा रहा है, जिसमें उच्च स्तरीय सुरक्षा का भी ध्यान रखा जा रहा है। इस तकनीक में किसी भी विद्यार्थी की उत्तरपुस्तिका की जानकारी न तो जांचकर्ता प्रोफेसर को पता चलती है और न ही परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों को इस प्रकार परीक्षा नियंत्रक कार्यालय से पूर्ण गोपनीयता एवं उधा स्तरीय सुरक्षा के साथ परीक्षा परिणाम की अधिसूचना जारी कर दी जाती है।
बार कोड रूपी स्टीकर का कमाल
फायर आइ तकनीक में विद्यार्थी द्वारा परीक्षा के समय एक प्रविष्टि वाले बार कोड रूपी स्टीकर को अपने उत्तरपुस्तिका पर निर्धारित स्थान पर चिपकाया जाता है। परीक्षा के उपरांन्त उत्तरपुस्तिका को बिना कोई ओएमआर काउंटर शीट फाड़े, सीधे संबंधित विषय के प्रोफेसर के पास मूल्यांकन हेतु भेज दिया जाता है, जिसमें मूल्यांकनकर्ता प्रोफेसर उत्तर पुस्तिका की ओएमआर शीट प्रश्न के क्रम के अनुसार प्राप्तांकों को दर्शाकर और ओएमआर शीट के गोले में काले डाट पेन से, प्राप्तांक काला गोला बनाकर दर्शाये जाते हैं।
इस प्रकार मूल्यांकन के बाद सभी विषयों की उत्तरपुस्तिकायें परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में पहुचती है, जिसके बाद फायर आई स्केनर से उत्तरपुस्तिकाओं की कोडिंग- डिकोडिंग कर उनकी स्केनिंग की जाती है, जिससे परीक्षा नियंत्रक कार्यालय को उत्तरपुस्तिकाओं की इमेज और प्राप्तांक की जानकारी मिल जाती है ।
साथ ही उत्तरपुस्तिका पर एक डमी नम्बर प्रिंट किया जाता है ताकि भविष्य में जरूरत होने पर जैसे पुर्नमूल्यांकन , पुनर्योग आदि अन्य कार्यों में उत्तरपूस्तिका को बाहर निकाला जा सके। यह संपूर्ण प्रक्रिया एक ही बार स्केनिंग करते समय फायर आइ तकनीक द्वारा की जाती है।
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