रायपुर। वैसे तो केंद्र की मोदी सरकार के आदेश राज्य में आने के बाद पूरा प्रसाशन ही हिल जाता है किंतु एक विभाग छत्तीसगढ़ वन ऐसा विभाग है जिसके कान में केंद्र के आदेशों के बाद भी जू नही रेंगता है, इसका जीता जाता उदाहरण छत्तीसगढ़ का वन विभाग उसी सेन्ट्रल जू अथार्टी की बात नहीं मानता, जिसने नन्दनवन जंगल सफारी, मैत्रीबाग और कानन पेंडारी जू को मान्यता प्रदान की है।
रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने भिलाई के मैत्रीबाग जू में मक्खियों से भिनभिनाता रोगजनक तथा अस्वास्थ्यकारक मांस दिये जाने की शिकायत दिसम्बर 2016 में सेन्ट्रल जू अथार्टी से की थी। बाद में फरवरी 2017 मंे एक और शिकायत उन प्रमाणों के साथ की गई जिसमें रायपुर के नन्दन वन में जानवरों को दिये जाने वाले चनाफल्ली, सरसों खल्ली तथा मोलासिस में अधिक मात्रा में यूरिया मिलना पाया गया था, यह भी बताया गया कि दो वर्ष में नन्दनवन मंे तो मांस के सेम्पल की जांच नहीं करवाई गई थी। मैत्रीबाग जू में 2 वर्षों में सिर्फ एक बार मीट की जांच कराई गई और अन्य किसी भी खाद्य पदार्थ की जांच नहीं कराई गई.
शिकायत के जवाब में सेन्ट्रल जू अथार्टी ने बताया कि छत्तीसगढ़ वन विभाग को प्रथम बार 18.07.2002 में छत्तीसगढ़ के जू में रखे जानवरों के स्वास्थ्य जांच कराने के लिये अनुभवी पशु चिकित्सकों व चिड़ियाघरों में काम कर चुके अनुभवी लोगों की स्वास्थ्य सलाहकार समिति बनाकर प्रत्येक चिड़ियाघर का 3 माह में निरीक्षण करवाकर स्वास्थ्य स्तर की निगरानी रखने के आदेश दिये गये थे। बाद में 18.11.2004 को, 06.03.2017 को भी उक्त समिति बनाने के लिये सेन्ट्रल जू अथार्टी ने वन विभाग को आदेशित किया। सिंघवी द्वारा शिकायत करने के बाद 16.05.2017 को सेन्ट्रल जू अथार्टी ने फिर समिति बनाने के लिये आदेशित किया परंतु वन विभाग ने उदासीनता दिखाते हुए स्वास्थ्य सलाहकार समिति नहीं गठित की।
शिकायतकत्र्ता ने बताया कि पिछले तीन वर्षों से वे सेन्ट्रल जू अथार्टी और वन विभाग को सेन्ट्रल जू अथार्टी के निर्देशानुसार स्वास्थ्य सलाहकार समिति बनाकर प्रति 3 माह में जू के जानवरों की जांच करवाने की मांग लगातार कर रहे हैं परंतु अभी तक कहीं भी जांच नही की गई बल्कि कई बार पत्र लिखने उपरांत अक्टूबर 2017 में वन विभाग ने शासन को 4 सदस्यीय समिति बनाने का प्रस्ताव भेजा जिसके 5 महीने बाद फरवरी 2018 में शासन ने समिति गठित की जो कि प्रति तीन माह में तीनों चिड़ियाघर मैं आवास सुविधा खानपान आदि का और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानक प्रक्रिया के पालन करने की जांच कर और जानवरों की जांच कर अद्यतन स्थिति से प्रधान मुख्य वन सरंक्षक (वन्यप्राणी) को अवगत करवायेगी।
अभी तक नहीं हुई है कहीं भी जांच:
शिकायतकर्ता ने बताया कि 16 वर्षों में अभी तक किसी भी जू में स्वास्थ्य सलाहकार समिति ने जानवरों के स्वास्थ्य की जांच नहीं की है. वन विभाग ने हाल ही में 30 अगस्त 2018 को उनको लिखित में बताया है कि विभाग के मुख्यालय में समिति कि कोई भी जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है.
सिंघवी ने वन विभाग तथा सेन्ट्रल जू अथार्टी दोनों पर आरोप लगाया कि वन विभाग सेन्ट्रल जू अथार्टी की बात नहीं मान रहा और सेन्ट्रल जू अथार्टी जानवरों की स्वास्थ्य सलाहकार समिति से जांच नहीं करवा पा रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी जू में जानवरों की दुर्गती को देखते हुए और स्वास्थ्य सलाहकार समिति गठित न हो पाने के कारण उन्होंने अक्टूबर 2017 में सेन्ट्रल जू अथार्टी से मांग की थी कि सेन्ट्रल जू अथार्टी छत्तीसगढ़ के तीनों जू और नन्दन वन में स्वयं ही टीम भेजकर जानवरों की जांच करवाये परंतु उनके सुझाव पर ध्यान नहीं दिया अगर ध्यान दिया गया होता तो कानन पेंडारी में जानवरों की मौत नहीं होती और वन्यजीवों को मजबूरन विभिन्न बीमारियों के साथ जीने को मजबूर नहीं होना पड़ता। उन्होंने मांग की कि तत्काल ही सभी जू के सभी जानवरों की जांच कर रिपोर्ट सार्वजनिक की जावे उन्हें स्वस्थ रखना हमारा दायित्व है यह भी जांच की जावे कि सेंट्रल जू अथॉरिटी द्वारा निर्धारित मानकों का पालन हो रहा है कि नहीं
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