मेरठ, 05 मई 2020. चीन के माल में कुछ भी हो सकता है. कोरोना को छोड़कर कभी भी कोई माल सही नहीं बनाया है. उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक मोबाइल हैंडसेट के आईएमईआई नंबर पर ही 13 हजार से अधिक मोबाइल चलते मिले हैं। इत्तेफाक से हैंडसेट दरोगा का था, ऐसे में साइबर सेल की जांच में यह बात सामने आ गई। खुलासा होने के बाद पुलिस ने मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली चाइनीज कंपनी वीवो के खिलाफ केस दर्ज किया है। बता दें कि आईएमईआई नंबर मोबाइल हैंडसेट का यूनिक नंबर होता है। यानी एक हैंडसेट का एक ही नंबर होता है।
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
एडीजी मेरठ जोन के कार्यालय में तैनात एक दरोगा का मोबाइल फोन खराब हुआ। वह उसे ठीक कराने के लिए मोबाइल कंपनी के सर्विस सेंटर पर देकर आए। सर्विस सेंटर से मोबाइल रिपेयर होने के बाद भी उसमें बार बार एरर की समस्या आ रही थी। इसके बाद दरोगा ने जोन कार्यालय के साइबर सेल को अपना मोबाइल फोन दिखाया। जब साइबर एक्सपर्ट ने मोबाइल देखा तो उन्हें कुछ शक हुआ। इसके बाद यह मामला तब के मेरठ के एडीजी प्रशांत कुमार के पास पहुंचा।
साइबर क्राइम सेल प्रभारी प्रबल कुमार पंकज व साइबर एक्सपटर्स विजय कुमार को पूरे मामले की जांच सौंपी गई। जांच में पाया कि दरोगा के मोबाइल बॉक्स पर जो आईएमईआई लिखा हुआ है, वह मोबाइल में मौजूद आईएमईआई से अलग है। 16 जनवरी 2020 को सर्विस सेंटर मैनेजर ने जवाब दिया कि आईएमईआई नहीं बदली गई। चूंकि उस मोबाइल में जिओ कंपनी का सिम था, इसलिए साइबर सेल ने उस आईएमईआई टेलीकॉम कंपनी को भेजकर डाटा मांगा। वहां से रिपोर्ट आई कि 24 सितंबर 2019 को सुबह 11 से 11.30 बजे तक देश के अलग-अलग राज्यों के 1,3557 मोबाइलों में यही आईएमईआई रन कर रहा है।
कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज
एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह ने बताया कि यह बेहद गंभीर मामला है। एक ही आईएमईआई नंबर दूसरे मोबाइल फोन पर नहीं चल सकता। इस मामले की हर स्तर पर जांच करायी जा रही है। कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर को भी जांच में शामिल किया गया है। कंपनी से भी पूछा गया है कि एक ही आईएमईआई नंबर दूसरे मोबाइल में कैसे पहुंचा? यह कोई टेक्निकल समस्या तो नहीं है। पूरे मामले की जांच के लिए पुलिस और साइबर सेल की टीम का गठन कर दिया गया है। जांच रिपोर्ट के आधार पर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की जाएगी।
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