बालोद। डिलेश्वर देवांगन। पहले तो समय पर कंपनी द्वारा वेतन नहीं दिया जाता उसके बाद अब हड़ताल पर जाने से व्यवस्था यथा स्थिति बनी रहे जिसके कारण जिले के 108 व 102 कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बिना प्रशिक्षित कर्मचारियों को आपातकालीन कार्य सौंप दिया गया है। ज्ञात हो कि विगत दिनों रायपुर के मेकाहारा के अस्पताल में इन्हीं बिना प्रशिक्षित कर्मचारियां के कारण एक मासुम की जान गई थी। 108 समय पर तो उचित स्थान पर पहुंच गई थी और मरीज को भी एम्बुलेंस में बिठा दिये जिसके बाद जब मरीज को एम्बुलेंस से उतारने की बारी आई तो इन्हीं बिना प्रशिक्षित कर्मचारियों नने एम्बुलेंस का दरवाजा तक नहीं खोल पाई। जिसके कारण नवजात मासुम के जन्म लेने से पहले ही मौत हो गई। इसी तरह की घटना कहीं बालोद में न हो जाये इसलिए आज 108 व 102 आपातकालीन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। आज लोग डर डरकर मजबूरन जब मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए उचित साधन नहीं मिलता तब ही 108 व 102 डायल कर उक्त एंबुलेंस का सहारा लेते हैं। पहले तो मरीज के परिजन अपनी ओर से अस्पताल ले जाने का साधन जुटाते हैं बाद में एंबुलेंस का सहारा लेते हैं।
चाहे दिन हो या आधी रात, सुबह से लेकर शाम तक मैदानी इलाकों से लेकर चट्टानी पहाड़ी इलाकों में आपातकालीन समय में पहुंचकर अपनी सेवाएं 24 घंटे आम नागरिकों को देते हैं। इसके बाद भी बालोद, गुरूर, डौण्डी, डौण्डी लोहारा, अर्जुन्दा, गुण्डरदेही सहित जिलेभर के 108 व 102 कर्मचारियों को समय पर मानदेय नहीं मिलने पर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थय विभाग के अधिकारियों का कहना इस मामले में वह कुछ नहीं कर सकते। ठेके में कंपनी द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है। कई बार विभागीय अधिकारियों के साथ साथ कलेक्टर के पास समय पर वेतन नहीं मिलने की गुहार लगाने के बाद विधायक को भी अपनी पीड़ा इन 108 व 102 कर्मचारियों बताई थी।
कर्मचारियों का कहना, बंद हो ठेका प्रथा
कर्मचारियों का कहना है कि छग शासन द्वारा आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा के लिए 108 व 102 एम्बुलेंस सेवा का संचालन विगत 8 वर्षों से छग के सभी जिलों में किया जा रहा है। इस सेवा का लाभ आम जनता को मिले इसके लिए शासन द्वारा जीवीके ईएमआरआई कम्पनी हैदराबाद को संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई है और इस सेवा को ठेका प्रथा के अंतर्गत संचालन किया जा रहा है। इस सेवा के संचालन में कार्यरत कर्मचारियों का जीवीके ईएमआरआई द्वारा लगातार आर्थिव व मानसिक शोषण किया जा रहा है।
इस प्रकार हो रही कर्मचारियों को परेशानी
कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें कंपनी की ओर से समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है, वर्ष 2017 अप्रैल से श्रम अधिनियम के तहत न्यूनतम मजदूरी दर एवं परिवर्तनशील वेतन भत्ते में बढ़तरी की गई है जिसका लाभ कर्मचारियों को नहीं मिल रहा है। कार्यावधि 12 घंटे का कराया जा रहा है जबकि श्रम अधिनियम के अंतर्गत कार्यावधि निर्धारित है। पुनर्निविदा की प्रक्रिया में विलंब हो राह है। शासन प्रशासन के सभी उच्चस्थ अधिकारी व मंत्री तथा नियोक्ता कंपनी जीवीके से भी कई बार अपनी समस्याओं को लेकर आवेदन एवं निवेदन किया जा चुका है और छग शासन स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर को प्रत्यक्ष मुलाकात कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया गया एवं इस विषय पर विगत विधानसभा सत्र में महासमुंद के विधायक विमल चोपड़ा ने प्रश्नकाल के दौरान 108 व 102 कर्मचारियों के समस्याओं को विधानसभा में समाधान हेतु शासन के संज्ञान में लाया था। परंतु आज तक उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाया।
शराब पीकर करते हैं ड्यूटी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 108 व 102 कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद से नए अप्रशिक्षित कर्मचारी शराब पीकर ड्यूटी करते है। जिसे विभाग के जिम्मेदार जानते नही या फिर जान कर वास्तविकता पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे है। आपातकालीन सुविधा देने वाले इन अप्रशिक्षित कर्मचारियों के ऐसे रवैये से काफी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। घटना, दुर्घटना में समय पर नही पहुंचने की बात सामने आ रही है।
“वर्तमान में जो कर्मचारी है उनकी नियुक्ति कंपनी द्वारा की गई है। शराब पीकर ड्यूरी करने वाले बात की जानकारी आपके द्वारा मिली है, दिखवाता हूँ।”
एस. पी. केशरवानी, सीएमएचओ जिला बालोद
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