सतना। सतना जिले के सोहावल जनपद को मातहत कर्मचारी को नोटिस देना महगा पद गया. सीईओ के फिलाफ़ उनके मातहत काम करने वाले वाले कर्चारी ने एसटीएससी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने के बाद इस क़ानून के दुरूपयोग की खाबर आग की तरह फ़ैल गयी है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सतना के सोहावल जनपद कार्यालय में पदस्थ स्वच्छता प्रभारी लिपिक विष्णु बागरी ने 4 सितंबर को सतना के अनुसूचित जाति जनजाति थाने में अपने ही कार्यालय के सीईओ राजीव तिवारी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी. विष्णु बागरी का आरोप है कि 27 अगस्त और 01 सितंबर को सोहावल जनपद सीईओ राजीव तिवारी ने विष्णु बागरी को जातिसूचक शब्दों से अपमानित कर प्रताड़ित किया है. नतीजतन थाना पुलिस ने शनिवार को सीईओ को थाने बुलाकर बयान दर्ज किया.
दरअसल संभागीय बैठक में आयुक्त ने स्वच्छता प्रगति धीमी होने से सीईओ सोहावल की दो वेतन वृद्धी रोकने की सज़ा दी थी. सीईओ सोहावल राजीव तिवारी ने ब्लाक में स्वच्छता प्रगति धीमे होने पर स्वच्छता प्रभारी लिपिक विष्णु बागरी को शो काज नोटिस जारी कर जवाब तलब किया. बस फिर क्या था विष्णु बागरी ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए सीईओ साहब के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करा दी.
सीईओ की माने तो वे 27 अगस्त को मीटिंग्स में बिजी थे और कार्यालय गए ही नही तो कर्मचारी विष्णु को जातिसूचक अपमानित और प्रताड़ित कब कर दिया। सीईओ साहब को समझ नहीं आ रहा कि उनसे कहा गलती हो गई.
कानून पालन की लाचारी और हालात के मद्देनजर पीड़ित के साथ सभी सीईओ ने कलेक्टर से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई. सोहावल जनपद सीईओ राजीव तिवारी के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद जिले भर के जनपद सीईओ लामबंद होकर पीड़ित सीईओ राजीव तिवारी के समर्थन में उतर आए हैं, मामला धीरे धीरे जंगल की आग की तरह तूल पकड़ता जा रहा है. समर्थक अफसर ऐसे हालात में कार्यालय में पदस्थ एससी एसटी वर्ग के अधीनस्थ कर्मचारियों से काम लेना मुमकिन न होना बता रहे है.
सतना कलेक्ट्रेट में मौजूद एडिशनल एसपी दर्ज शिकायत में बयान, जांच, तफ्तीश में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कानून सम्मत कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं. लेकिन कानूनन सीईओ की पहले गिरफ्तारी होनी चाहिये उसके बाद जाँच होनी चाहिए. अब बड़ा सवाल है कि अधिकारी के लिए जाँच करके कार्यवाही करेंगे गरीब होता तो अभी तक जेल की सलाखों के भीतर होता भले ही शिकायत फर्जी हो.
अब सतना में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के कर्मचारियों की लापरवाही पर अधिकारियों ने चुप रहना तय किया है. उनका कहना है कि ऐसे अधीनस्थ कर्मचारियों की गैर-हाजिरी पर खामोश रहेंगे, पूछताछ नही करेंगे, घोर लापरवाही पर नोटिस जारी नही करेंगे। वरिष्ठ अफसरों से खुद सज़ा भुगत लेंगे लेकिन मातहत कर्मचारी से जवाब तलब नही करेंगे.
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