कोरबा 9 अप्रैल 2020. इस समय प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चित कोरबा जिला है. यहां पर अब तक 9 मरीज कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज पाए गए हैं. जिसके बाद पूरा जिला सील हो गया है. इधर जिले मे जानवर और आदमी के बीच द्वंद लगातार बढ़ रहा है. पहले से भी यह जिला हाथियों के उत्पात से परेशान रहा है. हाल ही में यहां के डीएफओ को एक हाथी के मृत्यु के बाद हटाया गया था. जिला जानवरों को लेकर हमेशा से ही संवेदनशील रहा है लेकिन अगर ऐसे जिले मे असंवेदन अधिकारी होंगे तो लोगों की जान खतरे मे पड़ना जाहिर है.
बुधवार को जिले में वन परिक्षेत्र जटगा अंतर्गत बासीन परिसर के ग्राम पंचायत नवापारा के आश्रित ग्राम मेड़लीपारा मे दोपहर जंगली सूअर के हमले से कक्ष क्रमांक पी 272 मे एक स्थानीय व्यक्ति की मौत हो गई. मृतक का नाम प्रसाद सिंह पिता अमरजीत सिंह उम्र 60 वर्ष बताई जा रही है. जो जंगल मे जालाउ लकड़ी संग्रह करने गया था.



स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना वायरस के चलते अधिकारी जंगलों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं जंगलों में पानी की कमी की वजह से जानवर बाहर आते हैं और स्थानीय लोगों के ऊपर हमलावर हो जाते हैं. जिले मे पिछले दो महीनों मे ही हाथी 3 लोगों की जान ले चुका है कई को घायल कर चुका है. हाथी के झुण्ड लगातर उत्पात मचा रहे हैँ. अमूमन मार्च अंत से जानवरो के लिए विभाग जंगल में पानी की व्यवस्था करता है लेकिन इस बार करना के चलते पानी पर्याप्त व्यवस्था जानवरो के लिए नहीं हो पा रही है.
6 अप्रैल को वन परिक्षेत्र चैतमा परिसर तेलसरा मे एक भालू मृत पाया गया. हालांकि भालू के मौत का अभी तक कारण अप्राप्त है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करोना के बाद जानवरों का शिकार और तस्करी भी बड़ी है.



विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला की डीएफओ समा फ़ारूक़ी जिले के रेस्ट हाउस से बाहर दौरा नहीं कर रही हैँ. जिससे नीचे का अमला भी हतोत्साहित है. इतना ही नहीं डीएफओ ना ही जिले मे बल्कि राज्य स्तरीय मीटिंग मे भी खुद कम ही पहुंचती हैं. कथित स्टॉफ को भेज दिया जाता है. जिले में शासन के नियमों को किस तरह से क्रियान्वयन कराया जाए इसको लेकर ऊपर का स्टाफ भी परेशान है.
मंत्री के नाम का दुरुपयोग?
नाम ना छापने की शर्त पर जिला और राज्य के कई अधिकारी और कर्मचारी कह चुके हैं. कि मैडम खुद को मंत्री की नजदीकी बता रही हैं जिसकी वजह से ऊपर से नीचे तक कोई भी मैडम को कुछ भी कहने मे सक्षम नजर नहीं आ रहा है. हालांकि इस बात की पुष्टि सुयश ग्राम समाचार नहीं करता है.
हालांकि अगर ऐसा है की कोई अधिकारी अपने आपको मंत्री का करीबी बताता है तो यह सरासर गलत है क्योंकि विभाग के मंत्री को सभी जानते हैं कि वह पोस्टिंग को लेकर किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करते हैं ना ही अपने किसी नजदीकी को बचाने के मामले में आगे आते हैं. अगर यह बात मंत्री तक पहुंचती है तो अधिकारी के खिलाफ जरूर कार्यवाही हो सकती है. इस तरह की बात विभागीय मंत्री को कतई बर्दास्त नहीं होंगी.
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