संदीप तिवारी, दिल्ली, 30 अप्रैल 2020. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ वी़डियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए हुए संवाद में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने लॉकडाउन की पैरवी करते हुए कहा है कि कोरोना पर कंट्रोल करने के साथ लोगों की आजाविका की सुरक्षा करनी होगी। साथ ही कहा कि मजदूरों, गरीबों और किसानों की आर्थिक मदद करनी होगी। इस वीत्तीय मदद में 65 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
करोना पांडेमिक के एस विपरीत परिस्थिति में भारत को सबसे पहले निचले तबके एवं मजदूर वर्ग के खाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी और उन्हें न्यूनतम राशि कम से कम 3 महीने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से देना होगा तभी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के बारे में विचार हो सकता है। रघुराम राजन ने व्यवस्था को केंद्रीय कृत करने को अनुचित बताते हुए राज्यों को अधिक संसाधन एवं स्वायत्तता देने से ही राष्ट्र का भला होने की बात कही।
राहुल गांधी के एक सवाल के जवाब में राजन ने कहा कि सामाजिक सौहार्द में लोगों की भलाई है। कोरोना संकट से गुजर रहे चुनौतीपुर्ण समय में हम विभाजित होने का जोखिमभरा कदम नहीं उठा सकते हैं। रघु राजन ने कहा कि, “हमारी अर्थव्यवस्था 200 लाख करोड़ रुपये से अधिक की है और हम 65 हजार करोड़ रुपये वहन कर सकते हैं।” राजन ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को जल्द खोलना होगा। साथ ही कोरोना संक्रमण से निपटने के कदम भी उठाते रहने होंगे।
देश में कोरोना वायरस टेस्ट की जांच पर राजन ने कहा कि अमेरिका में हर रोज औसतन 150000 लोगों की कोरोना जांच हो रही है। कई सारे विशेषज्ञों का कहना है कि 5 लाख लोगों की कोरोना जांच करनी चाहिए। लेकिन भारत में 20 से लेकहर 25 हजार लोगों का ही कोरोना टेस्ट हो पा रहा है। इसके चलते हमें जांच का दायरा बढ़ाना होगा और बढ़े पैमाने पर टेस्ट करने होंगे।
कोरोना संकट के बीच वैश्विक अर्थव्यस्था पर राजन ने कहा कि ऐसा मुझे लगता है कि ग्लोबल इकोनॉमी सिस्कट में कुछ गलत तो है। लोगों के पास जॉब नहीं है। जिनके पास रोजगार है उन्हें भविष्य की चिंता खा रही है।
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